मेरी जिंदगी
अपनी जिंदगी है एक तैरती कश्ती की तरह
आगे चलूँ तो डगमगाए अगर रुकू तो भी डगमगाए।
सदा घिरी रही भाव सागर की लहरों मे इस तरह
जैसे चाँद घन-घोर घटाओं के बीच छुप जाये।
एक आशा है की कोई सही दिशा दे रब की तरह
और इस डगमगाती जिंदगी को किनारे तक पहुंचाए।
*****************************************
याद
आज सुबह जब आपका संदेसा आया,
उसे पढ़ते ही मेरा मन हर्षाया।
सोचाथा भूल गए है आप हमें
और खो गए है आप जीवन के दौड़ मे।
पता नहि क्यों आज आपने हमें याद किया
पर मिलने का नाम अभीतक नहीं लिया।
सोच मे है हम जिंदगी मे आपके कुछ बन पाए
और आपके जीवन मे सिर्फ याद बनकर न रह जाये।
**********************************************
No comments:
Post a Comment